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Sunday, August 21, 2011

एक के बाद एक अड़ंगे ।


एक के बाद एक अड़ंगे
दिनांकः-21/8/2011

आज भारत के दूसरे गांधी कहलाए जाने वाले अन्ना हजारे के अनशन को लेकर जहां पूरे राष्ट्र में अनशन और प्रदर्शन करने की होड़ सी मची हुई है, वहीं विदेशो मे भी इसकी चर्चाए हैं। जैसा कि अन्ना हजारे का अनशन सोलह 16 अगस्त 2011 से दिल्ली के जेपी पार्क मे शुरु होने वाला था लेकिन सरकार ने अपने एक गुप्त रणनीति के तहत अन्ना हजारे को गिरफ्तार कर जेल मे डाल भेज दिया। वास्तव मे सरकार ने यह कोशिश मे लगी हुई थी कि अन्ना हजारे को 144 के उल्लंघन का हवाला देते उन्हें जेल मे डाल दिया जाए और फिर उनके अनशन की हवा निका कर बाबा रामदेव की तरह अन्ना को दिल्ली से बाहर उनके गाँव पहुँचा  दिया जाए। लेकिन हुआ ठीक इसका उल्टा, सरकार का ही दांव खुद सरकार पर ही उल्टा पड़ गई। और अन्ना की जिद के आगे सरकार हक्की-बक्की रह गई । केंद्र की इस कार्यवाही की  वजह से सम्पूर्ण राष्ट्र के लोगों के गुस्सा की आग मे घी का काम किया जिसके परिणाम स्वरुप पूरे देश को इस आग की लपटों ने अपने आगोश मे ले लिया, और देश के हर कोने-कोने में लोगो ने वंदे मातरम”, “जय दिन्द, अन्ना हम तुम्हारे साथ हैँ जैसे नारे लगा कर अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए बहुसंख्यक लोग अपने-अपने घरों से निकल कर अन्ना के अनशन को चार-चाँद लगा कर आसमान के बुलंदीयो तक पहुँचा दिया। इस तरह का नजारा आज 64 बर्षो के बाद एक बार फिर दिखाई पड़ा। हमारे देश के जन मानस ने यह अनुभव किया कि भारत माँ की हम सभी संताने हिन्दु हो चाहे मुसलमान सभी  इस भ्रष्ट्चार और भ्रष्ट्चारीयों के विरोध मे एक साथ अपने घरों से निकल कर अन्ना के साथ सड़कों पर आ खड़े हुए। जाँहा तक इस हुजूम में गरीब,मध्यम और अमीर लोगों की बात है जहाँ तक अंग्रेजी शासन की बात है अमीर तबके के लोगों को उस समय के अंग्रेजी शासन से कोई खास तकलीफ नही थी और आज भी उन्हें भ्रष्टाचार से कोई खास फर्क पड़ने वाला नही है जो पहले से अमीर थे वह लोग तो हैं ही वल्कि आज भ्रष्टाचार कर के बने अमीरो ने अमीरो की संख्या मे और इजाफा हो गया। इस भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा हमारे देश के गरीब या मध्यम वर्ग जनता ही शोषण और अत्याचार के शिकार हुए। इस अत्याचार शोषण और भ्रष्टाचार से त्रस्त होकर आज सड़को पर उतर आयें हैँ। इस जन सैलाव को यदि इस समय संतुष्ट कर नियंत्रित नही किया गया तो आने वाले कुछ एक दिनो मे यह जन सैलाव विकराल रुप मे परिवर्तित होते देर नही लगेगी। लेकिन लोकपाल बिल की इस लड़ाई में अब तीसरा पक्ष भी धिरे-धिरे सक्रिय होने लगा है। इस तीसरे पक्ष की ओर से अरुणा राय ने कहा है कि सरकार ने जो लोकपाल बिल संसद में पेश किया है, उसमें हमारी बातें कतई शामिल नहीं हुई हैं। इसलिए हम स्‍टैंडिंग कमेटी के सामने अपनी बात को अवश्य रखेंगे। जैसा कि स्‍थायी संसदीय समिति ने लोकसभा में पेश लोकपाल बिल पर सभी को अपने सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया है। इस तरह एक तरफ यह भी लोकपाल बिल पर यह अंदेशा है कि कहीं ऐसा न होए कि फिर कुछ दिनो बाद एक और संस्था चौथा पक्ष फिर पाँचवा पक्ष सामने आ कर कहे कि हमाने जो बिल बनाया उसे भी स्डैंडिंग कमेटि के सामने रखा जाए इस तरह पुरे देश से एक के बाद एक बिल आते रहेगें तो इस पर सरकार को या स्डैंडिंग कमेटि को मौका मिल जाएगा कि हम किसी भी बिल को नही वल्कि सरकारी लोकपाल बिल को संसद ही संसद से पारित करा लेगें। यह बात अधिक्तर लोगों के गले नही उतरती है कि यह तिसरा पक्ष अभी तक कहां पर सोए हुऐ थे, लगता है उन्हें अन्ना के लोक प्रियता को देख कर अपने लिए भी लोक प्रियता जुटाने और लोकपाल बिल पर राजनीति करने लगे। और अब कहने लगें कि हमारे लोकपाल बिल के सुझावों को भी स्डैंडिंग कमेटि के सामने रखा जाए। इस तरह तो हमारे देश के प्रबुद्ध लोग भी रोज एक बिल बना कर स्डैंडिंग कमेटि के सामने रक्खने लगेंगे या रक्खे जाने की बात दोहराएगें। अगर इस पर अभी सोचा नही गया तो इस लोकपाल बिल के पास होना हम भारतीय जन मानस  के लिए एक स्वपन बन कर रह जाएगा।
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